ज्योति का जो दीप से ,
मोती का जो सीप से ,
वही रिश्ता , मेरा , तुम से !
प्रणय का जो मीत से ,
स्वरों का जो गीत से ,
वही रिश्ता मेरा , तुम से !
गुलाब का जो इत्र से ,
तूलिका का जो चित्र से ,
वही रिश्ता मेरा , तुम से !
सागर का जो नैय्या से ,
पीपल का जो छैय्याँ से ,
वही रिश्ता मेरा , तुम से !
पुष्प का जो पराग से ,
कुमकुम का जो सुहाग से ,
वही रिश्ता मेरा , तुम से !
नेह का जो नयन से , डाह का जो जलन से ,
वही रिश्ता मेरा , तुम से !
दीनता का शरण से ,
काल का जो मरण से ,
वही रिश्ता मेरा तुमसे......
Thursday, May 28, 2009
Thursday, May 7, 2009
बस ऐसे ही
दिल लगाने से पहले उसने मुझे रोका ना था ।
मेरा प्यार था सच्चा कोई धोखा न था ।
एक लम्हें में वो हमसे रिश्ता तोड़ लेंगे ।
ख्वाब में भी हमने कभी ये सोंचा न था ।
भुला दिया उसने एक पल में मुझे ,
जिसकी याद में मैं रात भर सोता न था ।
पलकों की नमी अब जाती ही नही ,
सब कहते हैं पहले तो मैं कभी रोता न था ।
तौलते हैं दौलत से हर रिश्ते को आज ,
पर पहले तो ऐसा कभी होता न था ।
गैरों के गम में भी हुआ मैं शरीक ,
पर मेरे अश्कों को तो अपनों ने भी पोछा न था ।
लोगों ने क्योँ उजाड़ दिया चमन मेरा ,
मैंने किसी के आँगन का सुमन नोचा न था ॥
मेरा प्यार था सच्चा कोई धोखा न था ।
एक लम्हें में वो हमसे रिश्ता तोड़ लेंगे ।
ख्वाब में भी हमने कभी ये सोंचा न था ।
भुला दिया उसने एक पल में मुझे ,
जिसकी याद में मैं रात भर सोता न था ।
पलकों की नमी अब जाती ही नही ,
सब कहते हैं पहले तो मैं कभी रोता न था ।
तौलते हैं दौलत से हर रिश्ते को आज ,
पर पहले तो ऐसा कभी होता न था ।
गैरों के गम में भी हुआ मैं शरीक ,
पर मेरे अश्कों को तो अपनों ने भी पोछा न था ।
लोगों ने क्योँ उजाड़ दिया चमन मेरा ,
मैंने किसी के आँगन का सुमन नोचा न था ॥
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