Monday, March 23, 2009

परछाइयां

वह अंधेरे से लिपट कर रात भर रोता रहा ,
बेरहम सूरज न जाने किस जगह सोता रहा ।
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यह न समझा साथ उसका छोड़ देंगी एक दिन ,
वह सुबह से शाम तक परछाइयां ढोता रहा ।
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ये बुझे तारे बगावत कर नही सकते कभी ,
सत्य है होगा वही जो आज तक होता रहा ।
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एक उल्का सी ह्रदय में रह गई है रोशनी ,
बस उसी सुख की लहर में ख़ुद बा ख़ुद खोता रहा ।
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आइना भी कह न पाया रोक ले आंसू "अभी "
वह अभागा मोतियों को धूल में बोता रहा ।
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Friday, March 20, 2009

आस

बीते जो चन्द रोज़ मुझे होश संभाले ,
पीने पड़े मुझे जाने कितने जहर के प्याले ।
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सीखा ही था जब मैंने गिर - गिर के संभलना,
वो पाई ठोकरें की हुआ मुश्किल मेरा चलना ।
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था सामने एक बच्चा जो कुछ खेल रहा था ,
उस उम्र में भी मैं बड़े दुःख झेल रहा था ।
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बीता है बचपन मेरा अब आई है जवानी ,
सोंचता हूँ की होगी कब ये ख़त्म कहानी ।
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हूँ आज परेशान पर ये आस न छोड़ी ,
वो देगा मुझे जरूर खुशी चाहे दे थोडी ।
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Thursday, March 5, 2009

इल्तजा

इन तन्हाईयों से दूर , मुझे ले के कहीं चल ,
मेरी परछाइयों से दूर , मुझे ले के कहीं चल ।
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चल दूर कहीं इतना , कि फ़िर लौट न पाऊं ,
न रास्ते हो ख़त्म , न मंजिल को मैं पाऊँ ।
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न हो वफ़ा कि चाह , न हो प्यार कि हसरत ,
चलता ही जा रहा हूँ , बस चलता ही मैं जाऊं ।
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ऐ जिंदगी सुन इल्तजा , ना साथ छोड़ देना ,
जब भी उठे नजर ,तुझे साथ में मैं पाऊँ ।
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Sunday, March 1, 2009

इंतजार

कर रहा हूँ मैं कब से तेरा इंतजार ,

आजा कि न आयेंगे ये दिन बार बार ।

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आजा के फिजा में फ़िर ये बहार ना आएगी ,

लाख तड़पेगी तू पर मेरी परछाई भी न पायेगी ।

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मैं अपनी सारी यादें अपने साथ ले जाऊंगा ,

यूँ करूंगा तन्हा कि फ़िर कभी न आऊंगा ।

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आजा कि इंतजार की इन्तहा हो गई है ,

यूँ लगे हर पल कि जिस्म से जान जुदा हो गई है ।

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