Thursday, January 29, 2009

ख्याल

गुजरे लम्हों को मैं अक्सर ढूँढता मिल जाऊंगा ,
जिस्म से भी मैं तुम्हें होकर जुदा मिल जाऊंगा ।
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दूर कितना भी रहो खोलोगे जब भी आँख तुम ,
मैं सिरहाने पर तुम्हें जागता मिल जाऊंगा ।
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घर के बाहर जब कदम अपना रखोगे एक भी ,
बन के मैं तुम्हें तुम्हारा रास्ता मिल जाऊंगा ।
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मुझपे मौसम कोई भी गुजरे जरा भी डर नही ,
खुश्क टहनी पर भी तुमको मैं हरा मिल जाऊंगा ।
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तुम ख्यालों में सही आवाज दे कर देखना ,
घर के बाहर मैं तुम्हें आता हुआ मिल जाऊंगा ।
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गर तस्सवुर भी मेरे एक शेर का तुम ने किया ,
मैं सुबह घर की दीवारों पे लिखा मिल जाऊंगा ।
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जिस्म से भी मैं तुम्हें होकर जुदा मिल जाऊंगा ........

Wednesday, January 28, 2009

धड़कन

तुम्हारे मानने का तरीका क्या है ,
बता दो मुझे रूठ जाने से पहले
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तुम्हारी ये सूरत मेरे मन में बसी है,
तुम सा जहाँ में न कोई हसी है
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खता बन पड़े तो छमा दान देना ,
अकिंचन को नजरों से गिरने न देना
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उम्मीद करता हूँ पतवार तुम हो ,
किनारा भी तुम हो और मंझधार तुम हो
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तुम्हारी खुशी ही तो मेरी खुशी है ,
बता दो मुझे ये क्या दिल्लगी है
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तुम रूठ के न मुझे छोड़ जाना ,
तुम्हारे हृदय में मेरी धड़कन बसी है
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तुम सा जहाँ में न कोई हसी है .................

तेरा ख्याल

दिल में तेरा ख्याल बसाये हुए हैं हम,
सीने में एक चोट सी खाए हुए हैं हम ,
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शिकवा करें जमीं से या आस्मान् से ,
किससे कहें की तेरे सताए हुए हैं हम ,
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तुझको गए हुए भी बहुत दिन गुजर गए ,
अब तक तुझे सीने से लगाये हुए हुए हम,
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चाहा तो बहुत की तुझको खुशी से विदा करें ,
पर बहना आँखों से आंसुओं का न रोक पाए हम ,
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जाना तेरा गमों की हद थी हमारे लिए ,
पर तेरी खुशी के लिए मुस्कुराते रहे हैं हम ,
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बहुत प्यारी थी तेरी हर एक अदा हमारे लिए ,
पर अफ़सोस तुझे जी भर के न देख पाए हम ,
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सीने में एक चोट सी खाए हुए हैं हम ...................................................

Thursday, January 22, 2009

शाम हुई

अहसांसों की एक बस्ती में

रहते रहते शाम हुई ,

सुबह सुनहरी बनी दुपहरी

ढलते ढलते शाम हुई ,

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ख्वाबों ने ख़त लिखे हजारों

उम्मीदों के नाम यहाँ ,

तन्हाई ही तन्हाई थी

पढ़ते पढ़ते शाम हुई ,

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गुलशन गुलशन भटकी यादें

मंजर मंजर भटकी आँखें ,

क़दमों में मंजिल की धुन थी

चलते चलते शाम हुई ,

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इंतजार के उत्सव में

सांसों की काया कोरी ,

आशाओं का कुमकुम चंदन

मलते मलते शाम हुई ,

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Wednesday, January 21, 2009

क्यों बना है भार जीवन

क्योँ बना है भार जीवन - क्यों बना है भार जीवन
जिन्हें चाहा था मिले वो,
कामना के उपवनों में,
फूल चाहे थे खिले वो,
तृप्ति बनकर प्रेयसी भी,
आ गई जब अंक में,
तब लगा क्यों स्वप्न बंधन,
क्यों बना फ़िर भार जीवन,
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चेतना तो चंचला है,
खोजती हर मोड़ पर सुख,
भोग की जो मेखला है,
नित्य देती है मुझे दुःख,
स्वप्न मेरे टूटते क्यों,
सुन तुम्हारा प्रणय गुंजन,
क्यों बना फ़िर भार जीवन,
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दिव्यता का रूप ले,
वासनाएं पास मेरे,
है सुनाती मधुर स्वर,
देख लो सुंदर सवेरा,
फ़िर ठगा सा क्यों खड़ा हूँ,
रात्रि से मैं क्यों डरा हूँ,
स्वर्ण मंडित आसनों से,
खिन्न है क्यों आज ये मन,
क्यों बना है भार जीवन,
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स्वप्न तो तुमने दिए सब,
स्वप्न भी पूरे किए सब,
फ़िर तुमने विस्मृत किया क्यों,
सत्य जो सन्मुख खड़ा था,
देखने से हूँ डरा क्यों,
दिव्यता क्यों भार बनकर,
छल रहीं हैं आज जीवन,
क्यों बना है भार जीवन,
क्यों बना है भार जीवन ......................................................
............................मेरी अपनी रचना

Tuesday, January 20, 2009

वक्त

आज कल हर कोई सिर्फ़ एक ही बात कहता है की क्या किया जाए वक्त ही नहीं है ये वक्त आख़िर चला गया आख़िर। घर है पर घर में रहने का वक्त नहीं , खाना है पर खाने का वक्त नहीं ,तकलीफ है पर रोने का वक्त नहीं , खुशियाँ हैं पर हसने का वक्त नहीं, हर तरफ़ हर कोई भाग रहा है साँस लेने की भी फुर्सत नहीं । कोई मर भी जाए तो क्रियाकर्म करने के लिए भी वक्त नहीं तीन दिन में ही निपटा दिया जाता है और किया भी क्या जाए जिन्दा लोगों के लिए ही जब वक्त नहीं तो उन्हें कौन देगा। बहुत कम किस्मत वाले हैं जो अपने लिए ख़ुद को वक्त दे पाते हैं नहीं तो बाकि लोग तो वक्त निकाल कर सिर्फ़ बीते हुए वक्त पर अफ़सोस करते हैं । ये भी सच है की घडी की सुइयां कभी बड़े छोटे या अमीर गरीब का भेदभाव नहीं करती वो तो सब के लिए एक समान ही चलती हैं फ़िर ये अन्तर कहाँ से हो जाता है ये वक्त किसी के लिए अच्छा और किसी के लिए बुरा क्यों बन जाता है । सच्चाई ये है की जो वक्त का ख्याल रखते हैं वक्त उन का ख्याल रखता है और वक्त बर्बाद करने वालों को वक्त भी बर्बाद कर देता है ।

Monday, January 19, 2009

सच और झूठ

सच और झूठ ये दो शब्द हैं क्या आख़िर। सब कहते हैं की सच एक ताक़त है जिससे दुनिया में हर खुशी मिलती है फ़िर हर कोई सच से डरता क्यों है क्यों लगता है की अगर अपना सच कही गलती से भी किसी के सामने आ गया तो बदनामी होगी परेशानी होगी रिश्तों में खटास आ जायेगी और दूसरी तरफ़ झूठ एक ऐसी ताक़त बन गया है जिसे हर कोई बड़ी खुशी से अपना कर ख़ुद को बहुत सुरछित समझता है खुश रहता है झूठ आज सच से कहीं बड़ी ताक़त बन गया। पर अगर झूठ इतना बड़ा बना तो कैसे इसका कारन तो हम और आप ही है ना। अपने से छोटों के दिलों में इतना डर पैदा कर दिया की वो अपनी की हुई हर गलती को चाहे वो छोटी हो या बड़ी हो छुपाने का प्रयास करने लगे वहीँ से शुरू हुआ झूठ का सिलसिला सच बोलने से डर लगे तो झूठ बोलो और शान से जियो झूठ से तरक्की और सच से नौकरी के लाले झूठ से माँ बाप और बीबी बच्चों का प्यार और सच से सिर्फ़ नफरत और दूरी। आज झूठ इतना बड़ा बन गया की सच को भी खरीदना पड़ता है सिद्ध करना पड़ता है। कुछ भी कहें सच तो सच है झूठ बोलने वालों के दिल की चाहत भी ये ही होगी की उनसे हर कोई सच बोले और यही तो सच की जीत है जब हर झूठा ये समझ जाएगा की वो किस तरह के आने वाले समाज की ओर जा रहा है तो यकीं करें की इस समाज की हर गन्दगी को दूर किया जा सकेगा अगर पिता सच का साथ देगा तो पुत्र भी उन्हीं क़दमों पर चलेगा और अगर अपनी थोडी सी खुशियों से समझौता कर के हर पति और पत्नी एक दूसरे से हर बात बांटे तो शायद आने वाला कल हमको डराएगा नही और किसी को किसी से भी नजरें नही छुपानी पड़ेंगी ।

Sunday, January 18, 2009

फ़ैसला

क्या हम को ये हक है की हम किसी की जिंदगी का कोई फ़ैसला कर सकें कौन जियेगा कौन मरेगा ये फ़ैसला अगर सिर्फ़ भगवान को करने दिया जाए तो बेहतर होगा। इन्सान का भगवान बनना अच्छा नही। अपने अंहकार में हम ख़ुद को खुदा समझने लगे वाह। हम जो कर रहे वही सही है ऐसा सोंच कर अहंकारी जो भी करता है उससे वो बहुत कुछ खो देता है पर उसके आँखों पर पड़ा परदा उसे कुछ भी देखने ही नही देता। परदा हटने के बाद जब वो ख़ुद को अकेला पाता है तो रोने के अलावा वो कुछ भी नही कर पता। बीबी बच्चे भाई बहेन माँ बाप सब एक एक कर दूर हो गए और हम बहुत खुश हैं की हम ने दुनिया जीत ली। धर्म की राह में चलने वाले और दुनिया में सब के दुःख और तकलीफ समझने वाले को ही दुनिया प्यार और इज्जत देती है नही तो बहुत शक्तिशाली होने पर भी आप को मिटा दिया जाएगा क्यों की हर पल का हिसाब हो रहा है और क़यामत के रोज खुदा आप से भी मुखातिब होगा तब आप के पास ऐसा कुछ भी नही होगा जो आप को बचा सके । और सजा मिलेगी तो आप में उसे बर्दाश्त करने की छमता नही होगी । पूरी दुनिया को जीत कर भी सिकंदर खाली हाँथ ही गया फ़िर कैसा पैसा कैसा समाज ये सब फालतू बातें हैं । अपनों से बनता है इन्सान और अच्छे कर्मों से बनता है एक इन्सान भगवान अब ये आपका फ़ैसला है आप क्या बनना चाहते हैं । अगर आप कहते हैं की भगवान बनना है तो एक अच्छा इन्सान तो बनना ही पड़ेगा ।

अनुभव

जिंदगी के कुछ अनुभव जो हर पल आप के लिए कुछ नया ले कर आते हैं कभी अच्छे कभी बुरे जो भी हो पर आप अगर खुश हैं तो जिंदगी आप को बहुत हसीन सा ख्वाब लगती है पर जब भी आप के मन के मुताबिक नही हुआ तो बस बन गई नरक इसका मतलब ये हुआ की जिंदगी कुछ नही बस अपनी सोंच है खुश रहो और अच्छे अच्छे ख्वाब देखते रहो बस देखना कहीं शीशे के बने इन ख्वाबों में कभी खरोंच न लगने पाए

Friday, January 16, 2009

कर्म

अपने साथ कुछ भी हो कभी भी परवाह ना करते हुए बस किसी न किसी के लिए कुछ न कुछ करता ही रहा पर ये लोग कभी भी खुश नही हुए हमेशा एक न एक गलती निकाल कर जो किया उसे भुला कर नाराज ही रहते रहे दिन बीतते रहे और मैं हमेशा सबको आगे जाने में मदद रहा सबके हाथ पकड़ कर आगे ले जाता रहा पर ये सब मुझे थोड़ा थोड़ा पीछे खींचते रहे चलो आज ये सब जहाँ हैं खुश हैं पर मैं जानता हूँ की आगे एक बहुत बड़ी दुनिया है जो मैं देख रहा हूँ पर मैं कहीं आगे न चला जाऊँ ये सोंच कर ख़ुद भी नुकसान उठाते रहते हैं पर किसी को खुशियाँ दे कर कभी भी किसी को दुःख नही होता एक बार आगे या पीछे नही साथ चल कर देखो कितनी खुशियाँ आप का इन्तेजार कर रहीं हैं ये इस दुनिया की सबसे बड़ी सच्चाई है की रोने वालों का साथ कोई नही रोता पर हसने वालों के साथ सब हँसते हैं इसी लिए अगर कोई परेशानी भी आए तो मुस्कुराओ पर जोर जोर हँसना मत वरना सब पागल कहेंगे । बाकि अगली बार नमस्ते । और अगर कोई मेरा दोस्त है तो बताइए जरूर हम इन्तेजार कर रहे हैं आपका ।

Tuesday, January 13, 2009

जिंदगी

इस जिंदगी में कभी कभी ऐसे दिन भी आते हैं जब इन्सान भीड़ में भी अकेला ही रह जाता है आगे बढ़ते क़दमों को दुनिया रोकने के लिए हर वो कदम उठाती है जिस के बारे में आप सोंचते भी नही हैं वो लोग जिन को आप अपना समझ कर उन के साथ चलना चाहते हैं वो लोग आप को साथ चलने में परेशान होने लगते हैं आप को लगता है की सब सही है पर कुछ भी सही नही हैं वो जमाना चला गया जब आप अच्छे थे तो सब अच्छे थे अब अगर आप चुपचाप सब सहते रहते हैं तो आप को बाकी सब बेवकूफ समझते हैं आप के ऊपर हँसते रहते हैं । ऐसा क्या किया जाए की आप सब को खुश रख पायें .... नही इस दुनिया में ऐसा कोई भी काम नही जिसे करने से सब खुश रहे .....अरे भगवान से भी सब खुश नही तो आप से कैसे खुश रहेंगे ....वक्त बीतता जा रहा है और हम वक्त के साथ ख़ुद को बदल नही पा रहे ...कम से कम मैं तो ख़ुद को बदल नही पाया इसी लिए परेशान हूँ ...

hello

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