रोटी है , कपड़ा है , मकान है , पिता छोटे से परिंदे का बड़ा आसमान है ।
पिता से ही बच्चों के ढेर सारे सपने हैं , पिता है तो बाजार के सब खिलौने अपने हैं ॥
अपने पापा को बेटी (दिव्यांशी)की तरफ़ से ......
Sunday, June 28, 2009
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