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Friday, March 18, 2011

वक्त

एक बार एक बहुत ही सफल व्यक्ति की डायरी हाथ लगी उनके इस दुनिया से चले जाने के बाद ।
डायरी जब वो ग्यारह बारह साल के रहे होंगे तब से लिखी गयी थी ।
पेज नम्बर ०१ पर लिखा गया था " पतंग उड़ानी थी फिर उड़ा लूँगा होमवर्क निपटा लूं पहले "
पेज नम्बर ०२ " सारे बच्चे बारिश में खेल रहे हैं मैं भी खेलना चाहता हूँ पर परीछा सर पर है "
पेज नम्बर ११४ " दोस्तों के साथ पिक्चर जाने का प्लान बना था पर जा नहीं पाया अस्सिंमेंट पूरे करने थे "
पेज नम्बर १३२ "राखी पर दीदी के पास जाना था पर ऑफिस के काम में फंसा हूँ "
पेज नम्बर १५५ " बीबी को घुमाने ले जाना था पर इस साल नहीं हो पायेगा "
पेज १८५ " आज कौशिकी ने साथ खेलने की जिद करी अगले रविवार जरूर खेलूँगा "
पेज २४० " कुछ दिनों से सोंच रहा था की गावं जा कर माँ बाबूजी से मिल आऊँ , अगले साल चला जाऊँगा "
पेज ३०२ " आजकल तबियत कुछ खराब चल रही है सोंच रहा हूँ डाक्टर को दिखा आऊँ , अगले हफ्ते जाऊँगा पक्का "..........................................
आगे के पन्ने खाली हैं .....................
जिंदगी में एक बार तो सब लौट सकता है पर गुजरा हुआ वक्त नहीं । ...

Friday, November 19, 2010

लीक पर वे चलें जिनके

लीक पर वो चलें जिनके चरण दुर्बल और हारे हैं
हमें तो जो हमारी यात्रा से बनें ऐसे अनिर्मित पंथ प्यारे हैं