चला जा रहा था तन्हा
जिंदगी की राहों में,
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एक कली ने छेड़ा मुझे
ले लिया अपनी बाँहों में,
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ले के बाँहों में मुझे
हौले से वो मुस्करायी ,
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देख कर उसको लगा ऐसा
जैसे पतझड़ में बहार आई,
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थी उसके प्यार में
कुछ ऐसी अदा,
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हो गया मेरा सब कुछ
ख़ुद मुझ से ही जुदा,
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गया था भूल मैं की
आती नही पतझड़ में बहार,
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चली गई वो मुझसे दूर
बिता के साथ दिन दो चार ,
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राहों की वो तन्हाई
फ़िर एक बार मैंने पाई,
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और कुछ भी करना जिंदगी में
पर कभी किसी से दिल न लगाना भाई ......
दिल न लगाना भाई ...............................
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Sunday, February 8, 2009
Saturday, February 7, 2009
ईमान
देखा जब भी मैंने जिंदगी को ध्यान से ,
ना बचा कुछ भी जिंदगी में ईमान से ,
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डरता हूँ देख हर तरफ़ चेहरे ये अजनबी ,
लगता है जैसे ना था कोई अपना कभी ,
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हो गए हैं कठीन कितने जिंदगी के रास्ते ,
बिकने लगा है प्यार भी जिंदगी के वास्ते ,
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शुरू किया था जब ये सफर ऐ जिंदगी ,
मालूम ना था आएगा एक ये मकाम भी ,
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जाना पड़ेगा छोड़कर उन सबको तनहा यार ,
किया था जिंदगी में कभी जिन्हें बहुत प्यार ,
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जब तक चल सके हम ये वादा निभाएंगे ,
छोडके तन्हाई में हम उनको ना जायेंगे ........
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ना बचा कुछ भी जिंदगी में ईमान से ,
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डरता हूँ देख हर तरफ़ चेहरे ये अजनबी ,
लगता है जैसे ना था कोई अपना कभी ,
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हो गए हैं कठीन कितने जिंदगी के रास्ते ,
बिकने लगा है प्यार भी जिंदगी के वास्ते ,
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शुरू किया था जब ये सफर ऐ जिंदगी ,
मालूम ना था आएगा एक ये मकाम भी ,
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जाना पड़ेगा छोड़कर उन सबको तनहा यार ,
किया था जिंदगी में कभी जिन्हें बहुत प्यार ,
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जब तक चल सके हम ये वादा निभाएंगे ,
छोडके तन्हाई में हम उनको ना जायेंगे ........
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Friday, February 6, 2009
सजदा
धुंआ बना के फिजाओं में उड़ा दिया मुझको ,
मैं जल रहा था किसी ने बुझा दिया मुझको ,
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खड़ा हूँ आज भी रोटी के चार हर्फ़ लिए ,
सवाल ये है की किताबों ने क्या दिया मुझको ,
...................................................................
सफ़ेद संग की चादर लपेट कर मुझ पर ,
हसीन सहर सा किसने सजा दिया मुझको ,
...................................................................
मैं एक जर्रा बुलंदी को छूने निकला था ,
हवा ने थम के जमीं पर गिरा दिया मुझको ....
......................... धुआं बना के .....................
मैं जल रहा था किसी ने बुझा दिया मुझको ,
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खड़ा हूँ आज भी रोटी के चार हर्फ़ लिए ,
सवाल ये है की किताबों ने क्या दिया मुझको ,
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सफ़ेद संग की चादर लपेट कर मुझ पर ,
हसीन सहर सा किसने सजा दिया मुझको ,
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मैं एक जर्रा बुलंदी को छूने निकला था ,
हवा ने थम के जमीं पर गिरा दिया मुझको ....
......................... धुआं बना के .....................
अब क्या कहना
बहुत कह लिया अब क्या कहना ,
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शब्दों पर विश्वास खो गया ,
अर्थ खोखले बने पड़े हैं ,
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कही अनकही ख़त्म हो चुकी ,
अपने से हम बहुत लड़े हैं,
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नहीं शिकायत कोई उन से ,
हमने सीख लिया है सहना ,
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आते - जाते छड़ ने रुक कर ,
पूछी बहुत पुरानी बातें ,
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चुप चुप रोते बीती हैं ,
अपनी तो अधियारी रातें ,
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जो कुछ अपने हिस्से आया ,
उस की शर्त सदा चुप रहना ,
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बहुत कह लिया अब क्या कहना ...............
Thursday, February 5, 2009
फ़साना
आना हो तेरे पास तो आऊँ कैसे ,
पाना हो तेरा दीदार तो पाऊँ कैसे ।
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कुछ इस कदर हुआ हूँ मैं मजबूर ,
हो गया हूँ ख़ुद अपनी जिंदगी से दूर ।
..................................................
बहुत आती है याद वो तेरी हसीन मुस्कराहट,
प्यार करने को आते वो तेरे क़दमों की आहट।
..................................................
वो आ के पास तेरा धीरे से बैठ जाना ,
कुछ मेरी सुनना कुछ अपनी सुनाना ।
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न भूल पाया हूँ और ना ही भुला पाऊँगा ,
उन बीते हुए पलों को जो बन गए हैं फ़साना ।
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पाना हो तेरा दीदार तो पाऊँ कैसे ।
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कुछ इस कदर हुआ हूँ मैं मजबूर ,
हो गया हूँ ख़ुद अपनी जिंदगी से दूर ।
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बहुत आती है याद वो तेरी हसीन मुस्कराहट,
प्यार करने को आते वो तेरे क़दमों की आहट।
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वो आ के पास तेरा धीरे से बैठ जाना ,
कुछ मेरी सुनना कुछ अपनी सुनाना ।
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न भूल पाया हूँ और ना ही भुला पाऊँगा ,
उन बीते हुए पलों को जो बन गए हैं फ़साना ।
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Tuesday, February 3, 2009
फलसफा
जो किसी का बुरा नही होता ,
शख्स ऐसा भला नही होता ।
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दोस्तों से शिकायतें होंगी ,
दुश्मनों से गिला नही होता ।
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हर परिंदा स्वयं बनाता है ,
अर्श पे रास्ता नही होता ।
...........................................
इश्क के कायदे नही होते ,
दर्द का फलसफा नही होता ।
...........................................
फितरतन गलतियाँ करेगा वो ,
आदमी देवता नही होता ।
...........................................
ख़त लिखोगे हमें कहाँ आख़िर ,
जोगियों का पता नही होता।
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शख्स ऐसा भला नही होता ।
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दोस्तों से शिकायतें होंगी ,
दुश्मनों से गिला नही होता ।
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हर परिंदा स्वयं बनाता है ,
अर्श पे रास्ता नही होता ।
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इश्क के कायदे नही होते ,
दर्द का फलसफा नही होता ।
...........................................
फितरतन गलतियाँ करेगा वो ,
आदमी देवता नही होता ।
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ख़त लिखोगे हमें कहाँ आख़िर ,
जोगियों का पता नही होता।
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तेरा जाना
दिल में तेरा ख्याल बसाए हुए हैं हम ,
सीने में एक चोट सी खाए हुए हैं हम ।
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शिकवा करें जमीन से या आसमान से,
किससे कहें की तेरे सताए हुए हैं हम ।
.........................................................
बहुत प्यारी थी तेरी हर एक अदा हमारे लिए ,
पर अफ़सोस तुझे जी भर के ना देख पाए हम ।
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चाहा तो बहुत की तुझे खुशी से विदा करें,
पर बहना आंखों से आंसुओं का न रोक पाए हम ।
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जाना तेरा ग़मों की हद थी हमारे लिए,
पर तेरी खुशी के लिए मुस्कुराते रहे हैं हम ।
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तुझको गए हुए भी बहुत दिन गुजर गए ,
अब तक तुझे सीने से लगाये हुए हैं हम ।
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दिल में तेरा ख्याल बसाये हुए हैं हम ..........
सीने में एक चोट सी खाए हुए हैं हम ।
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शिकवा करें जमीन से या आसमान से,
किससे कहें की तेरे सताए हुए हैं हम ।
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बहुत प्यारी थी तेरी हर एक अदा हमारे लिए ,
पर अफ़सोस तुझे जी भर के ना देख पाए हम ।
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चाहा तो बहुत की तुझे खुशी से विदा करें,
पर बहना आंखों से आंसुओं का न रोक पाए हम ।
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जाना तेरा ग़मों की हद थी हमारे लिए,
पर तेरी खुशी के लिए मुस्कुराते रहे हैं हम ।
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तुझको गए हुए भी बहुत दिन गुजर गए ,
अब तक तुझे सीने से लगाये हुए हैं हम ।
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दिल में तेरा ख्याल बसाये हुए हैं हम ..........
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