Saturday, February 7, 2009

ईमान

देखा जब भी मैंने जिंदगी को ध्यान से ,
ना बचा कुछ भी जिंदगी में ईमान से ,
..........................................................
डरता हूँ देख हर तरफ़ चेहरे ये अजनबी ,
लगता है जैसे ना था कोई अपना कभी ,
..........................................................
हो गए हैं कठीन कितने जिंदगी के रास्ते ,
बिकने लगा है प्यार भी जिंदगी के वास्ते ,
..........................................................
शुरू किया था जब ये सफर ऐ जिंदगी ,
मालूम ना था आएगा एक ये मकाम भी ,
...........................................................
जाना पड़ेगा छोड़कर उन सबको तनहा यार ,
किया था जिंदगी में कभी जिन्हें बहुत प्यार ,
...........................................................
जब तक चल सके हम ये वादा निभाएंगे ,
छोडके तन्हाई में हम उनको ना जायेंगे ........
...........................................................

No comments:

Post a Comment