तुम्हारे मानने का तरीका क्या है ,
बता दो मुझे रूठ जाने से पहले
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तुम्हारी ये सूरत मेरे मन में बसी है,
तुम सा जहाँ में न कोई हसी है
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खता बन पड़े तो छमा दान देना ,
अकिंचन को नजरों से गिरने न देना
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उम्मीद करता हूँ पतवार तुम हो ,
किनारा भी तुम हो और मंझधार तुम हो
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तुम्हारी खुशी ही तो मेरी खुशी है ,
बता दो मुझे ये क्या दिल्लगी है
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तुम रूठ के न मुझे छोड़ जाना ,
तुम्हारे हृदय में मेरी धड़कन बसी है
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तुम सा जहाँ में न कोई हसी है .................
Wednesday, January 28, 2009
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तसल्ली तसल्ली तसल्ली !
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