दर्द अपनाता है पराए कौन - कौन सुनता है और सुनाए कौन
कौन दोहराए वो पुरानी बात - ग़म अभी सोया है जगाए कौन
वो जो अपने हैं क्या वो अपने हैं - कौन दुख झेले आज़माए कौन
अब सुकूँ है तो भूलने में है - लेकिन उस शख़्स को भुलाए कौन
आज फिर दिल है कुछ उदास उदास - देखिये आज याद आए कौन
Saturday, February 14, 2009
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बहुत सुंदर रचना .
ReplyDeleteबधाई
इस ब्लॉग पर एक नजर डालें "दादी माँ की कहानियाँ "
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