Friday, February 27, 2009

पछतावा

कर के वफ़ा तुझसे - मैं पछता रहा हूँ ,

नही जीने की चाहत पर जिए जा रहा हूँ।

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क्यों तूने किया रुसवा - क्यों बीच राह छोड़ा,

जिंदगी के इस सफर में अकेले चल रहा हूँ ।

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छोड़ा जो हाथ तूने - न किसी ने हाथ पकड़ा ,

खुशियों की महफिलों में मैं तनहा ही रह रहा हूँ ।

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दुआ है ये खुदा से - न कभी तू चैन पाए ,

छोड़ के तेरी दुनिया मैं तो चला ही जा रहा हूँ।

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