Saturday, February 14, 2009

क्‍यों डरें जिन्‍देगी में क्‍या होगा

क्‍यों डरें जिन्‍देगी में क्‍या होगा
कुछ ना होगा तो तजरूबा होगा
हँसती आँखों में झाँक कर देखो
कोई आँसू कहीं छुपा होगा
इन दिनों ना उम्‍मीद सा हूँ मैं
शायद उसने भी ये सुना होगा
देखकर तुमको सोचता हूँ मैं
क्‍या किसी ने तुम्‍हें छुआ होगा

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